यूपी निकाय चुनाव मे पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद, सूबे मे राजनीति के साथ एक बार फिर जातीय जनगणना का मुद्दा उठने लगा है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने दोबारा जातीय जनगणना कराये जाने की मांग की है। उन्होने कहा की आरक्षण का सही लाभ बिना जातीय जनगणना के नहीं मिल सकता है। श्री यादव ने कहा की हमारी पार्टी के शुरू से ही जातीय जनगणना के पक्ष मे रही है। हमने अपने चुनावी वादे मे भी जातीय जनगणना को शामिल किया था, हमारी सरकार होती तो हम 3 महीनो के भीतर जातीय जनगणना कराकर दिखाते।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश को आधार मानकर पिछड़ा वर्ग का आरक्षण निरस्त किया है वह आदेश मार्च 2021 मे आया था। विपक्षी दलो का आरोप है की भाजपा ने जानबूझ कर आरक्षण लटकाने के लिए ऐसा किया है। यहा सवाल यह भी उठता है की नगर विकास मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर किन नियमो के तहत आरक्षण घोषित किया है। हाईकोर्ट मे यूपी सरकार ने बताया की उसने एक ‘रैपिड सर्वे कराया और ये ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले की ही तरह था।’

यूपी सरकार ने इस महीने की शुरुआत में प्रदेश की 17 महापालिकाओं के मेयरों, 200 नगर पालिका और 545 नगर पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की प्रोविजनल लिस्ट जारी की थी। पांच दिसंबर को जारी लिस्ट के मुताबिक प्रदेश में चार मेयर सीट (अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन, मेरठ और प्रयागराज) को ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया था। इनमें से अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिला के लिए आरक्षित थी. नगरपालिका अध्यक्ष की 54 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 147 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की गईं थीं।

आरक्षण के 3-टी नियम के मुताबिक नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण तय करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाता है, जो निकायों में पिछड़ेपन का आकलन करता है। इसके बाद सीटों के लिए आरक्षण को प्रस्तावित किया जाता है। दूसरे चरण में ओबीसी की संख्या पता की जाती है। तीसरे चरण में सरकार के स्तर पर इसे सत्यापित किया जाता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फ़ैसले के बाद बयान दिया है।उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार नगर निकाय सामान्य निर्वाचन के लिए एक आयोग गठित करेगी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज़रूरी हुआ तो उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकती है।

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