इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ आपराधिक केस चलाने की मांग वाली पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले पर ₹100000 हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीएम योगी का विरोध करने वाली ताकतें देश-प्रदेश का विकास होते नहीं देखना चाहतीं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में किसी भी तरह का दिशानिर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि सीएम योगी का विरोध करने वाली ताकतें, जो देश-प्रदेश का विकास होते नहीं देखना चाहतीं। कोर्ट ने कहा राज्य सरकार चाहे जो मामले का जांच करा सकती है।

कोर्ट ने यह टिप्पणी अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल द्वारा आशंका उठाए जाने पर की, जिसमें उन्होंने ने कहा था कि याची जिसका 14 केसों का आपराधिक इतिहास है वह 2007 से गोरखपुर जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ रहा है। जिस मुकदमे बाजी में काफी धन खर्च हुआ है, उसके पीछे सरकार व प्रदेश के विकास विरोधी ताकतें हैं। कोर्ट ने सीएम योगी के खिलाफ केस में विवेचना के बाद दाखिल फाइनल रिपोर्ट पर याची की आपत्ति ट्रायल कोर्ट द्वारा निरस्त करने को सही माना। कोर्ट ने कहा जिस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला अंतिम हो चुका उस पर ट्रायल कोर्ट पुनर्विचार नहीं कर सकती है। कोर्ट ने याची को चार हफ्ते में हर्जाना आर्मी वेलफेयर फंड में जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस फैसले से योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिली है। गोरखपुर के कथित सोसल वर्कर परवेज परवाज़ की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जस्टिस डीके सिंह की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही थी।

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