इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी से निष्कासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ऋचा सिंह चुनाव आयोग को पत्र लिख अपने निष्कासन को ” सविधान की धारा-30 ” का उल्लंघन करार दिया है। चुनाव आयोग को भेजे गए ई-मेल में ऋचा सिंह ने कहा है कि समाजवादी पार्टी महिला नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के पूर्व अपने ही “संविधान की धारा 30” का खुला उल्लंघन क्यों कर रही है? हर सच्चा समाजवादी इसका उत्तर जरुर चाहेगा?

ऋचा सिंह ने लिखा की चुनाव आयोग इस बात का संज्ञान ले कि समाजवादी पार्टी ने अपनी कार्य शैली में चुनाव आयोग के मानकों, लोकतांत्रिक मूल्यों का मखौल उड़ाते हुए, संविधान की अवमानना की है। यह देश के जनतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन और उनका मजाक उड़ाना है।

ऋचा ने राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के पैरा 135 का उल्लेख करते हुए कहा है कि आंतरिक विवादों को पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से निपटाएगी। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करेगी।ऋचा ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी के अपने संविधान की धारा 30 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रावधान वर्णित हैं।

ऋचा सिंह से समाजवादी पार्टी को लेकर मुख्य रूप से चार सवाल उठाये है-

(1) कार्रवाई करने के पूर्व चेतावनी

(2)कारण बताओ नोटिस

(3) पक्ष रखने का मौका

(4)स्पष्ट आधार सहित अनुशासनात्मक कार्रवाई

ऋचा ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने आज तक पार्टी के लेटर हेड पर ज़िम्मेदार पदाधिकारी के हस्ताक्षर से कोई पत्र नहीं दिया। उन्होने कहा दो लाइन की टि्वट मैसेज से निष्कासन किया गया जो कि पूरी की पूरी प्रक्रिया अलोकतांत्रिक, दुर्भावना से प्रेरित और दलीय राजनीति की मर्यादाओं का हनन भी करती है। ऋचा ने कहा उच्चतम न्यायालय और चुनाव आयोग बार-बार इस बात पर बल दिया है कि किसी भी राजनीतिक दल को अपने पार्टी के संविधान के अनुसार ही कार्य करना चाहिए और कोई भी कार्यवाही उसे संविधान की धाराओं और मंशा के अनुरूप ही होनी चाहिए , पर समाजवादी पार्टी लोकतांत्रिक दल की तरह व्यवहार नहीं कर रही है बल्कि यह एक सक्रिय गैंग की तरह कार्य कर रही है, जिसमें राष्ट्रीय की कार्यपद्धति न सिर्फ पार्टी के संविधान साथ ही देश के संविधान में वर्णित “नेचुरल जस्टिस के सिद्धांत की भी अवहेलना है।

ऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को गैंग संचालक बताया है। उन्होने कहा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्राइवेट कंपनी भी निष्कासन बिना कारण बताए नहीं कर सकती। ऋचा ने सोशल मीडिया पर अपने पत्र को साझा किया है। उन्होने कहा की इसकी प्रतिलिपि समाजवादी पार्टी कार्यालय को भी भेजी गयी है।

ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2017 मे पहली बार टिकट दिया था। 2022 के विधानसभा चुनाव मे पार्टी ने उनका टिकट पहले काट दिया, लेकिन विरोध के बाद ऋचा सिंह को दोबार टिकट दिया गया था जहा उन्हे दोबारा हार का सामना करना पड़ा था।

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