
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास होने के बाद से पहले ड्रीम-11 ने भारतीय क्रिकेट टीम के स्पॉन्सर से हट गयी है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 9 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप में भारतीय टीम की जर्सी पर ड्रीम 11 की ब्रांडिंग नजर आना मुश्किल है।
ड्रीम- 11 ने यह निर्णय ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के पास होने के बाद लिया गया है। बिल में ड्रीम 11 जैसे रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को बैन किया गया है। ड्रीम 11 ने 2023 में बीसीसीआई के साथ 358 करोड़ रुपए में तीन साल का स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो 2026 तक का है।
ड्रीम- 11 और बीसीसीआई के बीच हुई डील के मुताबिक बीसीसीआई को हर घरेलू मैच के लिए 3 करोड़ और विदेशों में खेले गए हर मैच के लिए 1 करोड़ रुपए मिलते थे। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद बीसीसीआई अब नए स्पॉन्सर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
बीसीसीआई सेक्रेटरी देवजीत सैकिया ने कहा कि बीसीसीआई केंद्र सरकार की हर पॉलिसी फॉलो करता है। अगर स्पॉन्सरशिप जारी रखना अनुमति नियमों के खिलाफ है, तो बोर्ड कोई कदम नहीं उठाएगा। हालांकि बीसीसीआई और ड्रीम 11 की तरफ से अब तक कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं आया है।
ड्रीम 11 का रियल मनी गेमिंग सेगमेंट कंपनी की कुल कमाई का 67% हिस्सा है। यानी, कंपनी की ज्यादातर कमाई फैंटेसी क्रिकेट जैसे गेम्स से आती थी। इसमे उपभोक्ता पैसे लगाकर अपनी टीमें बनाते थे और जीतने पर कैश प्राइज पाते थे। नए बिल के तहत ये गेम्स अब गैरकानूनी हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी के CEO हर्ष जैन ने कर्मचारियों को बताया कि नए कानून के तहत रियल मनी गेमिंग को जारी रखने का कोई कानूनी रास्ता नहीं है। इस वजह से ड्रीम 11 ने अपने इस कोर बिजनेस को बंद करने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अब अपने नॉन-रियल मनी गेमिंग वेंचर्स पर फोकस करेगी।
इसमें स्पोर्ट्स ड्रिप और फैनकोड शामिल है। इसके अलावा, कंपनी अपनी दूसरी इनवेस्टमेंट्स जैसे विलो टीवी और क्रिकबज को बढ़ाने और विदेशी बाजारों में विस्तार पर ध्यान देगी।
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।
करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित होने का दावा किया जा रहा हैं, और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास होने के बाद से पहले ड्रीम-11 ने भारतीय क्रिकेट टीम के स्पॉन्सर से हट गयी है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 9 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप में भारतीय टीम की जर्सी पर ड्रीम 11 की ब्रांडिंग नजर आना मुश्किल है।
ड्रीम- 11 ने यह निर्णय ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के पास होने के बाद लिया गया है। बिल में ड्रीम 11 जैसे रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को बैन किया गया है। ड्रीम 11 ने 2023 में बीसीसीआई के साथ 358 करोड़ रुपए में तीन साल का स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो 2026 तक का है।
ड्रीम- 11 और बीसीसीआई के बीच हुई डील के मुताबिक बीसीसीआई को हर घरेलू मैच के लिए 3 करोड़ और विदेशों में खेले गए हर मैच के लिए 1 करोड़ रुपए मिलते थे। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद बीसीसीआई अब नए स्पॉन्सर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
बीसीसीआई सेक्रेटरी देवजीत सैकिया ने कहा कि बीसीसीआई केंद्र सरकार की हर पॉलिसी फॉलो करता है। अगर स्पॉन्सरशिप जारी रखना अनुमति नियमों के खिलाफ है, तो बोर्ड कोई कदम नहीं उठाएगा। हालांकि बीसीसीआई और ड्रीम 11 की तरफ से अब तक कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं आया है।
ड्रीम 11 का रियल मनी गेमिंग सेगमेंट कंपनी की कुल कमाई का 67% हिस्सा है। यानी, कंपनी की ज्यादातर कमाई फैंटेसी क्रिकेट जैसे गेम्स से आती थी। इसमे उपभोक्ता पैसे लगाकर अपनी टीमें बनाते थे और जीतने पर कैश प्राइज पाते थे। नए बिल के तहत ये गेम्स अब गैरकानूनी हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी के CEO हर्ष जैन ने कर्मचारियों को बताया कि नए कानून के तहत रियल मनी गेमिंग को जारी रखने का कोई कानूनी रास्ता नहीं है। इस वजह से ड्रीम 11 ने अपने इस कोर बिजनेस को बंद करने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अब अपने नॉन-रियल मनी गेमिंग वेंचर्स पर फोकस करेगी।
इसमें स्पोर्ट्स ड्रिप और फैनकोड शामिल है। इसके अलावा, कंपनी अपनी दूसरी इनवेस्टमेंट्स जैसे विलो टीवी और क्रिकबज को बढ़ाने और विदेशी बाजारों में विस्तार पर ध्यान देगी।
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।
करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित होने का दावा किया जा रहा हैं, और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।