
ईरान के रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरज़ादेह ने खुलासा किया है कि तेहरान ने “कई देशों” में हथियार उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार कर लिया है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि किन-किन देशों में यह फैक्ट्रियां बनाई गई हैं। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब इस साल गर्मियों में इज़राइल और अमेरिका के हमलों के बाद क्षेत्रीय तनाव बढ़ा हुआ है।
नसीरज़ादेह ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि “मिसाइल विकास” ईरान की प्राथमिकता रही है, लेकिन इज़राइल के साथ युद्ध के बाद प्राथमिकताएं बदल सकती हैं। उन्होंने बताया कि ईरान ने बीते साल “उन्नत और चालाकी से संचालित होने वाले नए वारहेड” का भी परीक्षण किया है।
खाड़ी में मिसाइल परीक्षण
रक्षा मंत्री का यह बयान ऐसे समय सामने आया जब गुरुवार को ईरानी नौसेना ने ओमान की खाड़ी और उत्तरी हिंद महासागर में बड़े सैन्य अभ्यास के दौरान सतही लक्ष्यों पर क्रूज़ मिसाइलें दागीं। यह अभ्यास रूस के साथ कैस्पियन सागर में हुए कैसारेक्स 2025 संयुक्त युद्धाभ्यास के एक महीने बाद हुआ।
“15 दिन चलते तो इज़राइल मिसाइलें नहीं रोक पाता”
नसीरज़ादेह ने दावा किया कि अगर जून में हुआ युद्ध 15 दिन और चलता, तो इज़राइली बल ईरानी मिसाइलों को रोकने में असफल रहते। उन्होंने कहा, “शुरुआती दिनों में हमारी 40% मिसाइलें रोकी जा रही थीं, लेकिन युद्ध के अंत तक 90% मिसाइलें अपने लक्ष्य को भेद रही थीं। यह हमारे अनुभव में बढ़ोतरी और दुश्मन की रक्षात्मक क्षमता में गिरावट को दिखाता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने अपने सबसे सटीक हथियार “क़ासिम बासिर” मिसाइल का इस्तेमाल उस युद्ध में नहीं किया।
इज़राइल-ईरान युद्ध और हताहत
13 जून को इज़राइल के हवाई हमलों में ईरान के वरिष्ठ सैन्य कमांडर, परमाणु वैज्ञानिक और रक्षा प्रतिष्ठान बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इसके जवाब में ईरान ने इज़राइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इस संघर्ष में ईरान ने 1,062 मौतों की पुष्टि की, जिनमें 786 सैनिक और 276 नागरिक शामिल थे। वहीं, इज़राइल में 32 लोगों की जान गई। यह युद्ध 24 जून को अमेरिका द्वारा कराई गई संघर्षविराम संधि के साथ थमा।
इस बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई के वरिष्ठ सैन्य सलाहकार और पूर्व आईआरजीसी कमांडर याहया सफ़वी ने कहा कि स्थिति अभी भी बेहद नाजुक है। उन्होंने चेतावनी दी, “हम सीजफायर में नहीं हैं, बल्कि युद्ध की स्थिति में हैं। हमारे और अमेरिका या इज़राइल के बीच कोई औपचारिक समझौता या प्रोटोकॉल नहीं है। नया युद्ध कभी भी भड़क सकता है।”