देश की सर्वोच्च अदालत ने बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षक बनने की योग्यता से बाहर रख कर बड़ा झटका दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद छात्र सरकार से अध्यादेश लाने की मजबूत मांग कर रहे है। छात्रों का कहना है की सरकार को उनका भविष्य चौपट होने से बचाने के लिये ऐसा करना चाहिए। हाल मे ही छात्रों की लगातार परीक्षाये है जिसके कारण वे बड़े आंदोलन की तरफ से चल कर अभी रणनीति और समूहो मे कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे है।

प्रयागराज मे छात्र कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे है। छात्र जागरूकता अभियान चला कर बड़े आंदोलन की तैयारी मे जुटे है। प्रदर्शनकारी छात्र पंकज बताते है की अभी अधिकतर छात्रों की परीक्षाये है इस लिये आंदोलन को मजबूत किया जा रहा है। अलग अलग जनपदों के छात्रों से लगातार बातचीत की जा रही है और जल्द ही प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक बड़े आंदोलन किए जाएगे। सरकार चाहे तो अध्यादेश लाकर कोर्ट के फैसले को बदल सकती है।

प्रयागराज के सलोरी मे कोर्ट के इस फैसले के विरोध कर रही छात्रा नेहा कहती है की सवाल कोर्ट के फैसले का नहीं हमारी ज़िंदगी का है। घरवालों ने पाई पाई जोड़कर हमे पढ़ाया और आज हमे कह दिया जाता है की हम पात्र नहीं है। सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए, दिल्ली सेवा से जुड़े फैसले को सरकार अध्यादेश के जरिये बदल सकती है, तो हमारे लिये भी सरकार को ऐसा कदम उठाना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सोशल मीडिया पर बीएड बनाम बीटीसी की लड़ाई तेज हो गयी है। बीएड के छात्रों को इस फैसले से झटका लगा है तो बीटीसी के छात्रों के लिये चुनौती थोड़ी से कम हुई है। बीएड को लेकर कोर्ट के फैसले से प्रभावित होने वाले अधिकतर छात्र ग्रामीण और मध्यम वर्गीय परिवारों से जुड़े है। ऐसे मे छात्रों की चिंताए इस बात को लेकर है की उनके परिवार का क्या होगा? बढ़ती महगाई और बेरोजगारी के समय मे ऐसे झटके छात्रों के हौसले को तोड़ने का कम कर सकते है !

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