Arvind Kumar ( Chief Political Editor)
ई समाजवाद हई बबुआ धीरे धीरे आई……. मशहूर कवि गोरख पांडे की इन पंक्तियो को साकार करने के लिए अखिलेश यादव ने मिशन मध्यप्रदेश में अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं। विधानसभा चुनाव तारीखों की ऐलान से पहले अखिलेश यादव को उम्मीद थी की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से उनका गठबंधन हो जाएगा। लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस की तरफ से गठबंधन की बात न बन पाना समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा हैं। मध्यप्रदेश में गठबंधन को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुई बयानबाजी ने इंडिया गठबंधन को सबसे अधिक प्रभावित किया हैं।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के बयानों से समाजवादी पार्टी को सबसे अधिक अपमानित किया गया हैं। अजय राय के 80 सीटों पर तैयारी करने का बयान अखिलेश यादव को चिढ़ाने के मकसद से दिया हुआ समझा गया। अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुये अजय राय को छुट भैया नेता तक बोल दिया। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अखिलेश यादव को लेकर अपमानजनक टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी समर्थकों ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर हमलावर हो गए थे।
विधानसभा चुनाव 2023 में एक बार फिर से समाजवादी पार्टी की कोशिशों से झटका लगा जब इंडिया गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनाव के लिये गठबंधन नहीं बन पाया। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के बयान के बाद कांग्रेस और सपा में जुबानी जंग शुरू हुई उसे समाप्त करने के लिये कांग्रेस के आलाकमान को दखल करना पड़ा। अखिलेश यादव ने जिसके बाद से इंडिया गठबंधन के रुख पर नरमी दिखाई हैं। अजय राय ने कहा की समाजवादी पार्टी की मध्यप्रदेश में कोई हैसियत नहीं है, लेकिन सच्चाई शायद इससे कही अलग दिखाई पड़ती है। कांग्रेस आलाकमान के बड़े नेताओ ने अखिलेश यादव से संपर्क किया हैं, जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी से जल्द मुलाक़ात कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी लगातार चौकाती रही है। वर्ष 2003 के चुनाव नतीजो में सपा के 7 उम्मीदवार जीत कर विधायक बने, सपा की इस अप्रत्याशित जीत ने राजनीतिक पंडितो को चौका दिया था। जिसके बाद से एमपी चुनाव में सपा एक फैक्टर के तौर पर सामने आई थी। 2018 विधानसभा चुनावों में सपा को एक सीट से संतोष करना पड़ा, लेकिन पार्टी के कई उम्मीदवारों को कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। निवारी, बीजापुर, परसवाड़ा समेत लगभग एक दर्जन सीटों पर समाजवादी पार्टी बेहद मजबूत मानी जाती हैं।
सपा- कांग्रेस की लड़ाई में सिकंदर बनेगी भाजपा ?
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी कांग्रेस को नुकसान पहुचा सकती हैं, इस दावे से इंकार करना बेहद मुश्किल है। चुनावी आकड़ों के मुताबिक राज्य के दर्जन भर सीटों पर समाजवादी पार्टी जीतने की स्थिति में है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यूपी से लगी कई सीटों पर कांग्रेस को सपा नुकसान पहुचाएगी। इसके पीछे वे जातीय समीकरण को भी एक बड़ा कारण मानते है, मध्यप्रदेश में हल के सालों में पिछड़ी जातियों के बड़े संगठन प्रभाव में आए है। कांग्रेस के टिकट बटवारे के बाद से ये संगठन दोनों प्रमुख दलो के खिलाफ लामबंद हो रहे है। ऐसे में अगर पिछड़ी जातियों का कुछ हिस्सा सपा से जुड़ता है तो कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी हो सकती है। हालांकि उनका मानना है की भाजपा के अंदरूनी कलह की वजह से कांग्रेस को थोड़ी राहत भी मिल सकती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा
वर्ष 2003 में सपा ने 230 में से 161 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे, जिनमें से 7 को जीत मिली थीं। जिन सीटों पर साइकिल जमकर दौड़ी थीं, उनमें शामिल थीं- छतरपुर, चांदला, मैहर, गोपदबनास, सिंगरौली, पिपरिया और मुल्ताई। सपा को कुल 5.26 फीसदी वोट हासिल हुए थे। वर्ष 2008 में सपा ने 187 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से एक को जीत मिली। निवाड़ी से मीरा यादव ने सपा का खाता खोला था। पार्टी को 2.46 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1998 में यह अविभाज्य मध्यप्रदेश का आखिरी चुनाव था। कुल 320 सीटें थीं। सपा ने 94 पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 4 को जीत मिली थी और 84 की जमानत जब्त हो गई थी। रौन, दतिया, चांदला और पवई के मतदाताओं ने सपा पर भरोसा किया था। पार्टी को कुल 4.83 फीसदी वोट मिले थे।
कांग्रेस पर हमलावर अखिलेश, “इंडिया” के भविष्य पर मंथन
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों पर हमलावर हैं। अखिलेश यादव के कांग्रेस पर हमलावर रुख़ ने कांग्रेस को असहज कर दिया हैं। सूत्रो के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से इस बारे में अखिलेश यादव से बातचीत करने का आग्रह किया हैं। हालांकि नितीश कुमार भी कई मौकों पर कांग्रेस पर गठबंधन के साथ उसके रुख़ पर सवाल उठाया हैं। जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण समेत कई अहम मुद्दो पर कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों का समर्थन चाहिए, लेकिन कांग्रेस के भूतकाल के निर्णयों को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
राहुल गांधी के दावे हवा-हवाई
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ओबीसी प्रेम को पिछड़ी जातियों के सामाजिक संगठन महज़ दिखावा करार दे रहे हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सवाल उठे थे। दरअसल, एक चुनावी जनसभा में राहुल गांधी ने आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी का दावा किया था। हालांकि राहुल गांधी का मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकटों की अधिक संख्या सामान्य वर्ग को दी गयी थी।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का क्रेज युवाओ और ओबीसी वर्ग के सर चढ़ कर बोल रहा हैं, अखिलेश यादव ने एक जनसभा में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सीएम आवास को गंगाजल से धुलवाने पर भी इसे पिछड़ो का अपमान कहा हैं। माना जा रहा हैं की अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश में सक्रियता दिखाने में देरी कर दी है, लेकिन पार्टी को मिला रहा जनसमर्थन देख समर्थकों के हौसले बुलंद हैं।
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