parivartini ekadashi 2025 date tithi tulsi ke upay on parivartini ekadashi

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक महत्व है। यह तिथि हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आती है और भगवान विष्णु को समर्पित होती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने और श्रीहरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है।

परिवर्तिनी एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी की शुरुआत 3 सितंबर 2025 को सुबह 4:54 बजे से होगी और इसका समापन 4 सितंबर को सुबह 4:22 बजे पर होगा। व्रत रखने और पूजा करने का उत्तम समय 3 सितंबर को सुबह 7:35 से 9:10 बजे तक रहेगा। इस अवधि में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

तुलसी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन श्रीहरि को भोग में तुलसी पत्र अर्पित करना अत्यंत आवश्यक माना गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भोग स्वीकार करते हैं और साधक को व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस उपाय से जीवन की कठिनाइयाँ, दुख और संकट दूर होने लगते हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

माता तुलसी को प्रसन्न करने के उपाय

परिवर्तिनी एकादशी पर माता तुलसी की विशेष पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और धन की कमी दूर होती है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पौधे के पास देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी माता को लाल चुनरी, सिंदूर और रोली अर्पित करें। पूजन के बाद तुलसी की 5 या 7 परिक्रमा करें और विष्णु तथा लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप करें। माना जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है।

धार्मिक महत्व

परिवर्तिनी एकादशी को साल की प्रमुख एकादशियों में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत करने से साधक का जीवन पवित्र होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है। तुलसी पूजन और श्रीहरि की उपासना से न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि परिवार में शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।

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