Chandra Grahan 2025

Chandra Grahan 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद पाने के लिए बहुत खास माना जाता है। इस दौरान तर्पण, हवन, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने जैसे कार्य किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं, घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं। हर साल पितृपक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलते हैं। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से होगी।

इसी दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। यह ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगा। खास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य होगा।

सूतक काल ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस बार सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा। इस दौरान पूजा-पाठ, खरीदारी या किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए। मंदिरों के द्वार भी बंद हो जाते हैं।

इसलिए अगर आप पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान या नदी में स्नान जैसे कर्म करना चाहते हैं तो इन्हें 7 सितंबर को दोपहर 12:59 बजे से पहले ही पूरा कर लें। इसके बाद ग्रहण का सूतक लागू हो जाएगा और धार्मिक कार्य वर्जित हो जाएंगे। यानी इस बार पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण की छाया में हो रही है, लेकिन श्रद्धालु पूर्वाह्न में अपने पितरों के श्राद्ध और तर्पण कर सकेंगे।

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