इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियोजन द्वारा समय पर गवाहों की पेशी न कर पाने से ट्रायल पूरा करने में हो रही देरी के मामले में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा है कि बतायें कि अभियोजन गवाहों को अदालत में पेश करने में देरी क्यों करते हैं।समय से गवाहों की पेशी के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

कोर्ट ने डी जी पी से जानना चाहा है कि क्या लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की गई है तो उसका ब्योरा दिया जाय। कोर्ट ने अनुपालन के लिए निबंधक अनुपालन को आदेश की जानकारी डी जी पी देने का निर्देश दिया है। अर्जी की अगली सुनवाई 17अक्टूबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने एटा के थाना हिंडोली कलां में दर्ज गंभीर आपराधिक मामले में अभियुक्त मनोज की चौथी जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।तीन जमानत अर्जियां पहले खारिज हो चुकी है।

याची का कहना है कि वह लंबे समय से 13 फरवरी 17 से जेल में बंद हैं। पिछले साढ़े सात सालों में अभियोजन केवल तीन गवाह पेश कर सका है। जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लघंन है और याची के जीवन के मूल अधिकारों का हनन है। याची का यह भी कहना है कि सह अभियुक्त पंचम सिंह उर्फ पंक्षी की 13 सितंबर 24 को इसी कारण से जमानत मंजूर की गई है। इसलिए याची को भी पैरिटी के आधार पर जमानत पर रिहा किया जाए।

याची ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से कहा कि यदि अभियोजन ट्रायल पूरा करने में रूचि नहीं ले रहा,व गवाहों की पेशी गंभीर प्रयास नहीं कर रहा तो किसी अभियुक्त को अनिश्चित काल के लिए जेल में बंद नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा आये दिन ऐसे मामले कोर्ट में आते हैं जिनमें अभियोजन गवाहों को समय से पेश‌ नही कर पाते। यहां तक कि जघन्य अपराधों में भी ढिलाई बरती जाती है। जहां ट्रायल पूरा करने का गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को जमानत दी है।

कोर्ट ने कहा आदेश देने से पहले पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट मंगाना सही होगा। कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है कि ट्रायल पूरा क्यों नहीं हो पा रहा है। देरी के लिए कौन‌ जिम्मेदार है। ट्रायल का स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। साथ ही डी जी पी से भी इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ हलफनामा मांगा है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *