राहुल गांधी

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस आलाकमान ने कार्रवाई के संकेत दिये हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी द्वारा अप्रत्याशित परिणामों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक समीक्षा बैठक की हैं। 8 अक्टूबर को घोषित नतीजों में कांग्रेस ने 90 में से 37 सीटें जीतीं। हालांकि, एग्जिट पोल को धता बताते हुए और दस साल की सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए, भारतीय जनता पार्टी ने 48 सीटें जीतीं और हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है।

सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक, आलाकमान की बैठक में राहुल गांधी ज्यादातर समय चुप रहे। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर बात की और यह भी कहा कि अगर स्थानीय नेताओं को पार्टी की तुलना में अपनी प्रगति में अधिक दिलचस्पी नहीं होती, तो चुनाव जीता जा सकता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब ज्यादातर लोग ईवीएम को दोष देते रहे, तो गांधी नाराज हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि उन्हें विस्तृत जानकारी चाहिए और चले गए। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने पार्टी नेतृत्व से हरियाणा में मिली हार के कारणों पर कार्रवाई करने का संकेत दिया हैं।

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समीक्षा बैठक में राहुल गांधी और खड़गे के अलावा, कांग्रेस महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल, चुनावों के लिए AICC के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत और अजय माकन, साथ ही राज्य के AICC सचिवों ने खड़गे के आवास पर समीक्षा बैठक में भाग लिया। AICC के राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए। इस समीक्षा बैठक में हरियाणा में कांग्रेस के बड़े नेता नहीं शामिल हुये थे।

हरियाणा में पार्टी का अभियान चलाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनुपस्थिति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बैठक में कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला को भी नहीं बुलाया गया था। जानकार मानते हैं की कांग्रेस आलाकमान पार्टी के वरिष्ठ नेताओ पर कार्रवाई कर सकता हैं। बता दे की अधिकतर टिकट हुड्डा कैंप मे दिये गये थे। कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा इसको लेकर सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जताई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के बाद माकन ने संवाददाताओं से कहा, “हमने हरियाणा चुनाव परिणामों पर समीक्षा बैठक की। जैसा कि आप सभी जानते हैं, जैसा कि एग्जिट पोल और जनमत सर्वेक्षणों ने दिखाया था, परिणाम अप्रत्याशित थे। एग्जिट पोल और वास्तविक परिणामों में बहुत अंतर था। हमने चर्चा की कि इसके क्या कारण हो सकते हैं। हम इस पर आगे बढ़ते हुए उचित कदम उठाएंगे।”

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