उत्तर प्रदेश का देवरिया जनपद तारीख दो अक्टूबर अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जन्मदिवस, इस दिन देवरिया के रुद्रपुर में सुबह सुबह प्रेमचन्द्र यादव की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है। हत्या का आरोप सत्य प्रकाश दूबे और उसके परिजनों पर लगता है। हत्या से आक्रोशित प्रेमचन्द्र यादव के परिजन और ग्रामीण भीड़ की तरह सत्यप्रकाश दूबे के घर पहुचते हैं और जो मिलता है उसकी हत्या कर दी जाती है। पूरे घटनाक्रम का समय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आधे घंटे के दौरान घटित होता है। घटना की जानकारी प्रशासनिक महकमे को होती है तो हड़कंप मच जाता है। मौके पर भरी संख्या में पुलिस बल के साथ वरिष्ठ अधिकारी भी पहुच जाते है।
देवरिया हत्याकांड की गूंज लखनऊ तक पहुचती है, सीएम योगी की नाराजगी के बाद पुलिस सक्रियता से कई लोगो को हिरासत में लिया जाता है। पुलिस कार्रवाई पर एक पक्षीय होने का आरोप लगने शुरू होते हैं। देवरिया सदर से भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी एक के एक लगातार कई ट्वीट कर प्रेमचन्द्र यादव पर भूमाफिया का आरोप लगाते है। प्रेमचन्द्र यादव के समर्थकों का मानना है की विधायक यही से अपराध के इस मामले को जातीय रंग देने की कोशिश में जुट जाते है और मीडिया के साथ मिलकर प्रेमचन्द्र के खिलाफ एक नैरेटिव सेट कर दिया जाता है। प्रेमचन्द्र यादव के समर्थन में जो आवाज़े उठ रही है उनका मानना हैं की सरकार और उसका पूरा तंत्र प्रेमचन्द्र के परिवार को दोषी साबित करने में जुटा है, जबकि प्रेमचन्द्र यादव की हत्या दूबे परिवार की तरफ से पहले की गयी जिसके बाद गुस्साये लोगो ने घटना को अंजाम दिया।
हिन्दू महासभा जैसे कई संगठनों ने सत्यप्रकाश दूबे के न्याय के लिये आंदोलन करने का ऐलान किया हैं। सोशल मीडिया पर देवरिया हत्याकांड का पूरा मामला आपराधिक न होकर अब जातीय बहस से ऊपर उठता जा रहा है। देवरिया हत्याकांड को पहले ब्राह्मण बनाम यादव और अब पिछड़ा बनाम सवर्ण का मुद्दा बना दिया गया है। भाजपा नेताओ का सत्यप्रकाश के परिवार से मिलना और यादव परिवार से दूरी बनाये रखना इस मामले को हवा दे रहा हैं। भाजपा विधायक शलभमणि की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमे वो मृतक सत्यप्रकाश के बेटे देवेश का हाथ ऊपर उठाए दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को लेकर भी अलग बहस चल रहा है।
ब्राह्मण संगठनो ने प्रेमचन्द्र यादव के घर पर बुलडोजर चलवाने और सत्यप्रकाश के परिवार की आर्थिक मदद की मांग की है। उन्होने इस घटना को आपराधिक के साथ मानवीय सवेदना को दहलाने वाला बताते हुये दोषियो पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सोशल मीडिया पर एक तबका अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की चुप्पी पर भी सवाल उठा रहा है। ओबीसी आर्मी के कालीशंकर ने कहा की अगड़ो की राजनीति करने वाली भाजपा ने अपना पक्ष चुन लिया है, पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले आज तक खामोश किस लिये है। पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक की बात करने वालो को अब इनके लिये सड़क पर संघर्ष करने की जरूरत है। लखनऊ में बैठ कर पिछड़ों की आवाज उठाने के साथ अब उनके कंधे से कंधा मिला कर मजबूती से लड़ने की जरूरत हैं।
समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव ने इस घटना को योगी सरकार का फेलियर बताते हुये प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया हैं। उन्होने योगी सरकार से एक पक्षीय कार्रवाई न करने और दोनों परिवारों के साथ खड़े होने वाले राजधर्म की बात कही है। शिवपाल यादव ने कहा की वो जल्द ही देवरिया जाएंगे और दोनों परिवारों से मुलाक़ात कर हालचाल जानेगे। शिवपाल यादव ने इससे पहले कहा था की पिछड़े और कमजोरों का शोषण अब नहीं होने दिया जाएगा सरकार के इन कृत्यो पर अब मजबूती के साथ लड़ने की जरूरत हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने देवरिया हत्याकांड का जिम्मेदार सरकार और अधिकारियों को बताया है। प्रतापगढ़ में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुये अखिलेश यादव ने कहा की जीरो टलरेंस की बात करने वाली सरकार में सबसे ज्यादा अपराध हो रहे है। उन्होने कहा की समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि मण्डल देवरिया जाएगा और दोनों परिवारों से मिलकर मामले की रिपोर्ट सौपेगा।
देवरिया हत्याकांड में सत्यप्रकाश दूबे के परिवार के साथ भाजपा विधायक और कई बड़े नेता मिल रहे है। सरकार पर मृतक प्रेमचन्द्र यादव के परिजनों से न मुलाक़ात करने पर सवाल उठाए जा रहे है। पिछड़ी जातियो के कई संगठनो ने प्रेमचन्द्र यादव के परिजनों से मुलाक़ात कर हर संभव मदद का भरोसा दिया है। देवरिया का मामला जिस तरह से पिछड़ा बनाम अगड़ा बन रहा है उसने भाजपा के कई पिछड़े नेताओ के खिलाफ एक नैरेटिव सेट कर दिया है। सोशल मीडिया पर इन नेताओ के खिलाफ एक अभियान चलाये जाने की बात कही जा रही है।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पिछड़ी जातियो को अपने ओर करने की कोशिश में जुटी भाजपा को इंडिया गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस का जातीय जनगणना के पक्ष में खुलकर आना और कांग्रेस शासित राज्यों में बिहार की तर्ज पर जनगणना करना इस मुद्दे को और मजबूत कर रहे है। समाजवादी पार्टी का पीडीए रणनीति भी यूपी में भाजपा की मुश्किल कम नहीं कर रही है। समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल पहले ही पिछड़ों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ खड़े होने की बात कर चुके है। ऐसे में भाजपा नहीं चाहती की अगड़ा बनाम पिछड़ा की बहस ज़ोर पकड़े। इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी आबादी के अनुपात में हक देने की बात कर रहे है। ऐसे में भाजपा के खिलाफ एक आंतरिक रणनीति में गठबंधन बाजी मारता दिख रहा है।
सोशल मीडिया पर हमे फॉलो करे-