
Navratri 2025: नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। वह तपस्या, ज्ञान और आत्मसंयम की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख, शांति, स्थिरता और समृद्धि आती है। आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी प्रमोद के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए फलदायी होती हैं क्योंकि वह ज्ञान और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में पूजा का महत्व
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद मंदिर या घर में आसन बिछाकर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। उनकी आराधना से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को ज्ञान, सुख और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा विधि और भोग
मां को फूल, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें। भोग में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह दूध, दही, शहद, घी और चीनी मिलाकर तैयार किया जाता है, जिसमें केसर और मेवे डालकर इसे और पवित्र बनाया जाता है। साथ ही मां को पान, सुपारी और लौंग अर्पित करने की भी परंपरा है। कई स्थानों पर चीनी या गुड़ का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।
पूजा से लाभ
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से अकाल मृत्यु का संकट दूर होता है। उनकी कृपा से तप, आत्मसंयम, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मंत्र और स्तुति
उनका मूल मंत्र है – ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
वंदना मंत्र है – “दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।“
साथ ही “ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः” और “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता…” का जप करना अत्यंत शुभ माना गया है।