मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल में कांग्रेस की सत्ता में वापस लौटती दिख रही है। राज्य में हुये वर्ष दो हजार अट्ठारह के चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन सिंधिया की बगावत के बाद भाजपा दोबारा सत्ता मे लौटी है। ताजा सर्वे में सिंधिया के गढ़ मे भाजपा को बड़ा झटका लगता हुआ दिख रहा है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अपनी रणनीति बदल रही है। सत्ता में वापसी के लिए भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतार दिया है। चुनाव के लेकर एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई है जिसमें भाजपा को बड़ा झटका लगते दिख रहा है। हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट बीस सितंबर तक का है जबकि भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव सत्ताईस सितंबर के बाद किया है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका ग्वालियर-चंबल इलाके में लगता दिख रहा है। यह इलाका केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का है।
ग्वालियर-चंबल इलाके से भाजपा के दो नेता केन्द्र में मंत्री है। नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया। साल दो हजार बीस में हुए उपचुनाव में भाजपा को फायदा मिला था लेकिन सर्वे रिपोर्ट में एमपी के ग्वालियर और मालवा इलाके में झटका लगता दिख रहा है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका ग्वालियर-चंबल इलाके में लगता दिख रहा है। इलाके में विधानसभा की चौतीस सीटें हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भाजपा को महज चार से आठ सीटों पर जीत का अनुमान है। वहीं, कांग्रेस के खाते में छब्बीस से तीस सीटें जाती दिखाई दे रही हैं। दो हजार अट्ठारह के विधानसभा चुनाव में भी इस इलाके में कांग्रेस ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।
ग्वालियर-चंबल अंचल पर भाजपा ने अपना भी सर्वे कराया है। इस सर्वे रिपोर्ट ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी थी। जिसके बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। भाजपा ने इस बार नरेन्द्र सिंह तोमर को दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा की इस रणनीति का चुनावी फायदा कितना होता है इसके लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन टिकट मिलने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है।
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